jotish ki shalah 3

 मैंने कहा- अरे आखिर मेरी बहन की पहली चुदाई थी तो धमाकेदार तो होनी ही चाहिए थी।

कामिनी बोली- चलो अब अपन एक राउंड खेल लेते है।
फिर में कामिनी को चोद कर घर चला आया।

रात को मैंने फोन पर कामिनी से पूछा- रश्मि के क्या हाल हैं?
कामिनी ने बताया- उसको अब तो रिशु उसको तीसरी बार चोद रहा है और वो बहुत मज़े ले ले कर चुदवा रही है।
मैंने कहा- स्वामी जी ने तो एक हफ्ते का समय दिया था और रिशु ने तो एक दिन में ही तीन बार चोद डाला मेरी प्यारी दीदी को।
कामिनी हंसने लगी और बोली- अब रिशु की तबीयत ठीक हो जाये बस।
मैंने मन में कहा- ठीक तो हो ही जायेगा।

अगले दिन सुबह पापा का फोन आया, उन्होंने बोला कि वह चार दिन और वहीं रहेंगे।

फिर मैं आराम से तैयार हो कर जब रिशु के घर पंहुचा तो कामिनी ने बताया- रिशु और रश्मि एक साथ नहा रहे हैं।
मैंने रश्मि से कहा- घर नहीं चलना?
तो वो बोली- मम्मी-पापा तो परसों वापस आएंगे तब तक मैं यहीं रह जाती हूँ।

यह सुन कर रिशु ने रश्मि क एक प्यारा सा चुम्मा लिया और कामिनी बोली- यह तो बन गई पूरी चुदासी।
मैंने झूठ बोल दिया कि सुबह पापा का फोन आया था वो कल सुबह आ रहे हैं।

यह सुन कर रश्मि थोड़ा उदास हो गई तो मैंने कहा- अच्छा चलो! शाम तक करो खूब प्यार! आओ आंटी इनको प्यार करने दो! हम आपके बेडरूम में चलते हैं।
और मैं फिर से कामिनी को एक बार और चोदने चल पड़ा और उधर रिशु रश्मि को बाथटब में लिटा कर चोदने लगा।

असल में मैंने सोचा कि जब रश्मि रिशु से चुद ही गई है तो क्यों न मैं भी उसको चोदूँ। यह सोच कर ही मैंने उसको झूठ बोला कि पापा कल आ रहे हैं ताकि उसे घर ले जा कर मैं खूब चोदूँ और उसकी गांड भी मारूँ।

शाम तक रिशु ने रश्मि की तबीयत से चुदाई की और फिर मैं उसे लेकर घर वापस आ गया।

अब मैं यह सोच रहा था कि कैसे रश्मि को चोदा जाये। क्योंकि हो सकता है कि रिशु से एक बार चुदने के बाद से वो उसके सामने खुल गई हो पर मेरे सामने आने से पहले वो अपना बदन ढक ले रही थी।

मैंने उसको बातों से गर्म करने की सोची। मैंने उससे पूछा- कैसा लगा पहली बार सेक्स करके?
वो बोली- देखो भैया, सभी लड़कियों को शरीर की भूख होती है और सबको सेक्स करना बहुत अच्छा लगता है पर एक तो बदनामी का डर और कभी कोई अनुभव न होने से कोई भी लड़की शादी से पहले सेक्स करने से डरती हैं, मैं भी शादी से पहले यह काम नहीं करना चाहती थी। जब मैं चुदी तो लगा कि जन्नत में पहुँच गई और लगा कि मैं बेकार ही डरती थी और फिर तो लगा कि बस रिशु मुझे चोदता ही जाये।

मैंने कहा- बस रिशु ही या और किसी से भी चुदने का इरादा है?
वो बोली- बात तो वही बदनामी की है और मेरा काम तो अब रिशु से हो ही जायेगा क्योंकि उसने बोला है कि जब भी जरूरत हो बुला लेना, मैं चोदने आ जाऊँगा।
मैंने कहा- बदनामी का कोई डर न हो तो?
वो बोली- मतलब?
मैंने कहा- रश्मि जब से मैंने कल से तुम्हें नंगा देखा है, मेरा बुरा हाल है और जब तक तुम मुझे नहीं मिल जाती मुझे चैन नहीं आयेगा।

अचानक रश्मि भड़क गई और बोली- अपनी सगी बहन को पहले तो अपने दोस्त से चुदवाया और अब खुद भी चोदना चाहता है? बहन चोद!
उसके मुँह से गाली सुन कर मुझे बड़ा अजीब लगा क्योंकि हम सबको लगता था कि यह बहुत शरीफ है और कुछ नहीं जानती।

मैं साफ़ साफ़ बोला- देखो, तुम्हारी अगर मर्ज़ी न हो तो कोई बात नहीं! पर मम्मी पापा कल नहीं चार दिन बाद आएंगे और मैं तुम्हें झूठ बोल कर वापिस इसलिए लाया था कि तुम्हें चोद सकूँ।
वो चिल्लाने लगी- चोद सकूँ! चोद सकूँ! अरे हाथ भी मत लगाना वरना देख लेना भोसड़ी के! अरे, मैं वहाँ आराम से रिशु से चुद रही थी तब तो झूठ बोल कर मुझे वापिस ले आया और खुद चोदना चाहता है? गांड मार दूँगी अगर हाथ भी लगाया तो।

मैंने सोचा कि इस वक्त काम टेढ़ी ऊँगली से निकलना होगा।
मैंने कहा- बस इतनी सी बात? अभी मैं रिशु को यहीं ले आता हूँ!
और मैं रिशु को लेने चल पड़ा।

रिशु के घर पहुँच कर मैंने कामिनी से कहा- आज रात को रिशु मेरे घर पर ही रुकेगा और उसको लेकर वापस आ गया।
रास्ते में रिशु बोला- यार मोनू, रश्मि बहुत मस्त चीज़ है! मैं उससे शादी करना चाहता हूँ! अभी मम्मी से मैं यही बात कर रहा था। कुछ चक्कर चलाओ और मेरे साले बन जाओ।

मुझे पता था कि रश्मि रिशु के लंड की दीवानी हो चुकी है पर मैं बोला- यार, इसमें मेरा क्या फायदा? तुम्हें तो करारा माल मिलेगा जिंदगी भर चोदने के लिए और मुझे कुछ नहीं।
वो बोला- यार मम्मी को चुदवा दिया तुमसे! और क्या चाहते हो?
मैं बोला- मैंने भी तो रश्मि चुदवा दिया तुमसे! हिसाब बराबर।
रिशु- ऐसा मत बोल, तू मेरा दोस्त है। कुछ कर न यार।

मैं- देख कर तो सकता हूँ पर तू कुछ ऐसा कर कि रश्मि मुझसे चुदवा ले बस एक बार।
रिशु- साले अपनी सगी बहन को चोदेगा? मैं उससे शादी करना चाहता हूँ और तू बोल रहा है कि उसको तुझसे चुदवाऊँ।
मैं- अबे जाने दे, सबसे बड़ा रिश्ता तो आदमी और औरत का होता है। बोल क्योंकि मेरे मनाये बिना मम्मी पापा नहीं मानेंगे।
रिशु- चल यार, तू आखिर दोस्त है, आज ही ग्रुप सेक्स करते है रश्मि के साथ। चल एक बोतल वोदका ले ले।
मैं- हाँ खाना भी तो लेना है।

रिशु के कहने से मैंने सिर्फ नानवेज खाना लिया। खाना और वोदका खरीद कर हम जैसे ही घर पहुँचे, रश्मि रिशु से लिपट गई और पैंट के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ कर हिलाने लगी।
मैंने कहा- अरे पहले खाने-पीने का इंतज़ाम करो, इसके लिए तो पूरी रात पड़ी है।
रश्मि बोली- लाओ, पैकेट मुझे दे दो! मैं खाना लगाती हूँ।
खाना देख कर रश्मि बोली- अरे तुम लोग सिर्फ नानवेज ले कर आये हो? अब मैं क्या करूंगी।
रिशु बोला- मेरी जान, पहले सिर्फ कवाब और तीन गिलास ले कर आओ।

रश्मि कबाब और गिलास ले कर आई तो रिशु ने कहा- ये सब मेज पर रख दो और मेरी गोद में बैठ जाओ। मोनू तुम पेग बनाओ।
रश्मि रिशु की गोद में बैठ गई और रिशु उसकी चूचियों से खेलने लगा।

मैंने तीन मोटे पेग बना दिए और रिशु ने एक पेग उठा कर रश्मि के मुँह से लगा दिया।
रश्मि बोली- अरे, मैं नहीं पीती!

पर रिशु ने एक ना सुनी और पूरा गिलास जबरदस्ती रश्मि के गले में उड़ेल दिया।
रिशु ने कहा- एक और पेग बनाओ इसके लिए।

इस बार मैंने वोदका थोड़ा कम और कोल्ड ड्रिंक ज्यादा डाल कर पेग बनाया तो रश्मि धीरे धीरे पीने लगी। तब तक रिशु ने एक कबाब का टुकड़ा उठाया और उसके मुँह में डालने लगा।
रश्मि ने कहा- नहीं रिशु, मैंने तुम्हारे कहने से शराब पी ली है पर यह नहीं खा सकती, उलटी हो जायेगी।
रिशु बोला- मेरी जान एक बार चखो तो!
रश्मि ना ना करती रही और रिशु ने सिर्फ एक सिर्फ एक मेरे लिए करते करते उसके मुँह में कबाब डाल ही दिया। बोनलेस होने की वजह से रश्मि को कुछ पता ही नहीं चला और वो कबाब खा गई। जैसा हमने सोचा था, हमने रश्मि को चार पेग पिला दिए और खुद सिर्फ दो ही पेग पिए और रश्मि का पहला पेग तो तीन पेग के बराबर था। अब रश्मि नशे में धुत हो चुकी थी और मज़े ले लेकर तंदूरी चिकन फाड़ रही थी।

खा पीकर हम रश्मि को गोद में उठा कर बेडरूम में ले गए। तब तक तो नशे से बेहोश हो चुकी थी।
रिशु बोला- इतनी पी ली है इसने कि कल सुबह तक नशा नहीं उतरेगा इसका! आधा घंटा सोने दे इसे, तब तक कोई ब्लू फिल्म लगा दे।

आधे घंटे में हम दोनों के लण्ड कुतुबमिनार बन चुके थे। हमने तब जा कर रश्मि को जगाया। मैंने उसकी दोनों चूचियों को मसल दिया पर उस पर नशा बहुत था तो उसने कोई विरोध नहीं किया और फ़िर वहीं सोफ़े पर रश्मि के बिल्कुल सामने बैठ गया। रिशु ने रश्मि को अपने ऊपर खींच लिया और रश्मि को अपने पूरे बदन पर फ़ैला कर उसके होंठ चूसने शुरु कर दिये।

रश्मि अब भी अपने दोनों टाँगों को सटाए हुइ थी, उन दोनों के सर मेरी ओर थे। रश्मि की छाती रिशु के सीने पे दबी हुई थी। रिशु अब रश्मि को वैसे ही चिपटाये हुए पलट गया और रश्मि अब उसके नीचे हो गई। वो अब उसके चुम्मे का जवाब देने लगी थी।

रिशु 2-3 मिनट के बाद हटा और फ़िर उसकी दाहिनी चूची को चूसने लगा। वह अपने एक हाथ से उसकी बाईं चूची को हल्के से मसल भी रहा था। रश्मि की आँखें बन्द थी और उसकी साँस गहरी हो चली थी।

जल्द ही रश्मि अपने पैरों को हल्के हल्के हिलाने, आपसे में रगड़ने लगी। उसकी चूत गीली होने लगी थी। जैसे ही उसने एक सिसकारी भरी, रिशु उसके ऊपर से पूरी तरह हट गया और मुझे उसके पैरों की तरफ़ जाने का इशारा किया। मैं अब रश्मि की सर की तरफ़ से हट कर उसके पैरों की तरफ़ हो गया।

रिशु अब उसकी चूत पर झुका। होठों के बीच उसकी झाँटों को ले कर दो-चार बार हलके से खींचा और फ़िर उसकी जाँघ खोल दी। उसकी चूत की फ़ाँक खुद के पानी से गीली हो कर चमक रही थी। रिशु अपने स्टाईल में जल्द ही चूत चूसने लगा और रश्मि के मुँह से आआअह आआअह ऊऊऊऊ ऊओह जैसी आवाज ही निकल रही थी।

रिशु चूसता रहा और रश्मि चरम सुख पा सिसक सिसक कर, काँप काँप कर हम लोगों को बता रही थी कि उसको आज पूरी मस्ती का मजा मिल रहा है।

जल्द ही वो निढाल हो कर थोड़ा शान्त हो गई।रश्मि कितनी देर तक बर्दाश्त करती। उसकी चूत के मूत्र-छिद्र से हल्की सी पेशाब की धार फिर चालू हो गई जो मेरी ठोड़ी से होती हुई गले के नीचे गिर सीने से होती मेरे लंड को जैसे धोती जा रही थी। उसने मेरे सिर के बाल पकड़ लिए कसकर।

मैं तो मस्त हो गया। जब उसका पेशाब बन्द हुआ तो उसने नीचे झुक कर मेरे होंठ चूम लिए और अपने होठों पर जीभ फिराने लगी। उसे भी अपनी मूत का थोड़ा सा नमकीन स्वाद ज़रूर मिल ही गया। हम साफ़-सफाई के बाद फिर बिस्तर पर आ गए।

रश्मि, एक बताना तो मैं भूल ही गया ! मैंने कहा।

ऊँहह… अब कुछ मत बोलो बस मुझे प्यार करने दो अपने मोनू को ! उसने फिर मेरे होठों को चूम लिया।

मैंने उससे कहा- मेरी बहना, मैं एक बार तुम्हारी चूत को चूसना चाहता हूँ।

उसका नशा कम भले ही हो गया था पर पूरी तरह नहीं उतरा था इसीलिए कोई ऐतराज़ नहीं हो सकता था।

मैं लेट गया और उसके पैर अपने सिर के दोनों ओर कर दिए जिससे उसकी चूत मेरे मुँह के ठीक ऊपर आ गई। हम दोनों अब 69 की मुद्रा में थे। रश्मि मेरे ऊपर जो थी। मेरा लंड ठीक उसके मुँह के सामने था।

मैंने झट से चूत की पंखुड़ियों को चौड़ा किया और गप्प से अपनी जीभ उस गुलाबी खाई में उतार दी। उत्तेजना में उसका शरीर काँपने लगा। मैंने उसकी चूत को ज़ोर-ज़ोर से चूसना चालू कर दिया, अब उसके पास मेरे लंड को चूसने के अलावा क्या रास्ता बचा था। उसने पहले मेरे लंड के सुपाड़े को चूमा और उस पर आए वीर्य की कुछ बूँदों चखा और फिर गप्प से उसे मुँह में भर कर चूसने लगी। मेरा लंड मेरी बहन के मुँह में जाकर तो निहाल ही हो गया।

मैंने अपनी जीभ उसकी गाँड के भूरे छेद पर भी फिरानी चालू कर दी। मैंने 4-5 बार अपनी जीभ उसकी गाँड पर फिराई तो वो एक किलकारी मारते हुए फिर झड़ गई। मैं अपना वीर्य उसके मुँह में अभी नहीं छोड़ना चाहता था। मुझे तो पहले उसकी गाँड का उदघाटन करना था और फिर जैसा मैंने सोचा था वही हुआ।

रश्मि ज़ोर-ज़ोर की साँसे लेती हुई एक ओर लुढ़क गई। उसके उरोज साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे। आँखें बन्द थीं। अचानक वह उठी और मेरे ऊपर आकर मुझे कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मैंने अपनी ऊँगली उसकी गाँड की छेद पर फिरानी शुरु कर दी।

उफ्फ… क्या खुरदरा एहसास था।

वो तो बस आँखें बन्द किए मुझसे चिपकी पड़ी थी। मैंने हौले से उसके होंठों पर एक चुम्मा लिया और कहा- मेरी जान, मेरी बहना क्या हुआ?

बस अब कुछ मत बोलो, एक बार मुझे फिर से… और उसने मुझे चूम लिया।

रश्मि एक और मज़ा लोगी जो अभी रिशु ने नहीं दिया?

क्या मतलब… वो… वो… ओह… नो… नहीं… वो तो ऐसे बिदकी जैसे किसी काली छतरी को देख कर भैंस बिदकती है ओह भैया तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ना… क्या बात कर रहे हो?

अरे मेरी रश्मि रानी औरत के तीन छेद होते हैं और तीनों में ही चुदाई की जाती है। चुदाई का असली आनन्द तो इस द्वार में ही है। एक बार मज़ा लेकर तो देखो, फिर तो रोज़ यही कहोगी कि पिछले छेद में ही डालो।

पर वो… वो… इतना मोटा मेरे छोटे से छेद में… ओह नो… मुझे डर लगता है। वो कुछ सोच नहीं पा रही थी। नहीं मुझे बहुत डर लग रहा है। सुना है इसमें करने पर बहुत दर्द होता है।

अच्छा चलो तुम्हें दर्द होगा तो नहीं करेंगे। एक बार करने में क्या हर्ज़ है?

पर वो… वो ज़्यादा दर्द तो नहीं होगा ना कहीं…? वो कुछ हिचकिचा रही थी।

मैंने उसे करवट लेकर सो जाने को कहा। वो बाईं करवट के बल लेट गई औऱ अपनी दाईं टाँग को सिकोड़ कर अपने सीने की ओर कर लिया। अब मैं घुटने मोड़कर उसकी बाईं जाँघ पर बैठ गया। ताकि जब मैं उसकी गाँड में लंड डालूँगा तो वह आगे की ओर नहीं खिसक पाएगी। अब मैंने बोरोलीन की ट्यूब निकाली और टोपी खोल कर उसका मुँह उसकी गाँड की सुनहरी छेद पर लगा कर थोड़ा सा अन्दर किया। पहले से थोड़ी बोरोलीन लगी होने से ट्यूब की नॉब अन्दर चली गई। अब मैंने उस ट्यूब को ज़ोर से भींच दिया। उईई… भैयाऊऊऊ गुदगुदी हो रही है रश्मि नशे में चिहुँकी। वो आगे को सरक ही नहीं सकती थी।

मैंने आधी से ज़्यादा ट्यूब उसकी गाँड में खाली कर दी। अब धीरे-धीरे मैंने उसकी गाँड के छेद पर मालिश करनी शुरु कर दी। बोरोलीन अन्दर पिघलने लगी थी और मेरी उँगली उसकी गाँड की कसी हुई छेद के बावज़ूद भी आराम से अन्दर जाने लगी थी, प्यार से धीरे-धीरे।

रश्मि आआआहहह… उउउऊऊऊहहहह करने लगी।

कोई 4-5 मिनट की घिसाई और उंगलीबाज़ी से उसकी गाँड तैयार हो गई थी।

ओह… भैया अब डाल दो !

शाबाश ! मेरी रश्मि, यही तो मैं चाहता था।

अब मैंने वैसलीन की डिब्बी उठाई और लगभग आधी शीशी क्रीम अपने लंड पर लगा दी। मैंने सुपाड़े को उसकी गाँड पर लगा दिया। आह… क्या मस्त छेद था। दो गोल पहाड़ियों के बीच एक छोटी सी गुफ़ा जिसका दरवाज़ा कभी बन्द कभी खुल रहा था। रश्मि आआहहहह… उँहहहह… ओह… उउउऊऊई… किए जा रही थी। मैंने एक उँगली उसकी चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करनी शुरु कर दी औऱ एक हाथ से उसकी घुण्डियाँ मसलनी शुरु कर दी। उसका एक बार और झड़ना ज़रूरी था ताकि गाँड के छेद को पार करवाने में उसे कम से कम दर्द हो। ३-४ मिनट की उंगलीबाज़ी और चूचियों को मसलने से वह उत्तेजित हो गई। उसका शरीर थोड़ा सा अकड़ने लगा और वो ऊईई… माँ आआ…ओओओहहह ययाआआआ… करने लगी। उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने अपनी उँगली निकाली और अपने मुँह में डाल कर एक चटकारा लिया। फिर मैंने दुबारा उँगली उसकी चूत में डाली और उसे भी चूत-रस चटाया। रश्मि तो मस्त ही हो गई। उसकी गाँड का छेद जल्दी-जल्दी खुलने और बन्द होने लगा था। यही समय था जन्नत के दूसरे द्वार को पार करने का।

जैसी उसकी गाँड खुलती मेरा सुपाड़ा थोड़ा सा अन्दर सरक जाता। अब तक उसकी गाँड का छेद 5 रुपए के सिक्के जितना खुल चुका था और लगभग पौना इंच सुपाड़ा अन्दर जा चुका था, सफलतापूर्वक बिना किसी दर्द के।

मैंने उसकी कमर को पकड़ा और ज़ोर का दबाव डालना चालू किया। गाँड अन्दर से चिकनी थी और रश्मि मस्त थी, गच्च से तीन इंच लण्ड घुस गया और इससे पहले कि रश्मि की चीख हवा में गूँजे मैंने उसका मुँह अपने दाएँ हाथ से ढँक दिया। वो थोड़ा सा कसमसाई और गूँ-गूँ करने लगी। मैं शान्त रहा। मेरा ३ इंच लण्ड अन्दर जा चुका था। अब फिसल कर बाहर नहीं आ सकता था। मुझे डर था कि रिशु ने जा इसकी चूत मारी थी तब काफी खून निकला था उसी तरह गाँड से भी ख़ून ना निकल जाए। लेकिन बोरोलीन और वैसलीन की चिकनाई की वज़ह से उसकी गाँड फटने से बच गई थी। इसका एक कारण और भी था मैंने लण्ड अन्दर डालते समय केवल दबाव ही दिया था धक्का नहीं मारा था।

2-3 मिनट आह… ऊहह… करने के बाद वह शान्त हो गई। मैंने अपना हाथ हटा लिया तो वह बोली- मुझे तो मार ही डाला।

अरे मेरी बहना ! अब देखना, तुम अपने मुँह से कहोगी और ज़ोर से ठोंको और ज़ोर से !

तब तक रिशु भी जग गया था और उसके मम्मों से खेलने आ गया था।

अब धीरे-धीरे धक्के लगाने का समय आ गया था। मैंने अपना लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया। रश्मि ने अपने गाँड का छेद सिकोड़ने की कोशिश की तो मैंने उसे समझाया कि वो कतई ऐसा न करे। मैंने उसे बताया कि अगर उसने गाँड को सिकोड़ तो अन्दर लंड और सुपाड़ा दोनों फूल जाएँगे और उसे अधिक तक़लीफ होगी।

मैंने अपना लंड जड़ तक अन्दर कर दिया। रश्मि तो मस्त हो गई। वो तो बस उई… माँ… ही करती जा रही थी, मीठी सी सीत्कार। मैं अपना लण्ड अन्दर-बाहर ही करता जा रहा था। रश्मि अब पेट के बल हो गई थी, उसने अपने दोनों पैर चौड़े कर दिए और चूतड़ ऊपर उठा दिए। मेरा लंड उसकी गाँड में कस गया पर चिकनाई के कारण अन्दर-बाहर होने में कोई दिक्क़त नहीं थी। हर धक्के के साथ रश्मि की सीत्कार निकल जाती और वह अपने चूतड़ और ऊपर कर लेती।

साली पहली गाँड चुदाई में ही इतनी मस्त हो गई, मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी ज़बर्दस्त गाँड होगी। ऐसा नहीं था कि मैं बस धक्के ही लगा रहा था, मैं तो उसकी चूत में भी उँगली कर रहा था, कभी उसकी पीठ चूमता, कभी उसके कान काटता। वो तकिए से सिर लगाए आराम से अपना चूतड़ ऊपर-नीचे करती हुई ओओईई… आआहहह… ययाआआ… कर रही थी। कोई 20-25 मिनट की गाँड चुदाई के बाद मुझे लगा कि अब मंज़िल नज़दीक आने वाली है तो मैंने रश्मि से कहा- मेरी बहना, अब मैं आने वाला हूँ।

रश्मि हँसने लगी- अभी नहीं, एक बार मुझे कुतिया बनाकर भी करो।

और फिर वो अपने घुटनों के बल हो गई। मैं समझ गया साली ब्लू-फिल्म की तरह चुदवाना चाहती है।

मैंने उसकी कमर पकड़ी और लंड अन्दर डाल कर धक्के लगाने शुरु कर दिए। उसकी गाँड का छल्ला ऐसे लग रहा था जैसे किसी बच्ची के हाथ में पहनने वाली लाल रंग की चूड़ी हो या एक पतली सी गोल लाल रंग की ट्यूब-लाईट हो जो जल और बुझ रही हो। उसकी गाँड का छल्ला ऐसे ही अन्दर-बाहर हो रहा था।

उसने अपना सिर तकिए से लगा लिया और मेरे आँडों को ज़ोर से अपनी मुट्ठी में लेकर दबाने लगी। मेरे 8-10 धक्कों और चूत में उँगलीबाज़ी करने के कारण रश्मि की चूत ने पानी छोड़ दिया और उसने एक मीठी सी सीत्कार लेकर अपनी गाँड सिकोड़ी। इसके साथ ही मेरे लंड ने भी 7-8 पिचकारियाँ उसकी गाँड में छोड़ दीं। उसकी गाँड मेरे गरम और गाढ़े वीर्य से लबालब भर गई। जैसे-जैसे मेरे धक्कों की रफ़्तार कम होती गई वो नीचे होती गई और फिर मैं उसके ऊपर लेटता चला गया। मैंने उसे बाँहों में भर रखा था। उसके दोनों उरोज मेरे हाथों में थे।

कोई दस मिनट तक आँखें बन्द किए हम लोग ऐसे ही पड़े रहे और रिशु उसके मम्में दबाता रहा। फिर रश्मि उठ खड़ी हुई। वो लंगड़ाती सी बाथरूम की ओर जाने लगी तो रिशु ने उसका हाथ पकड़ कर फिर अपनी गोद में बैठा लिया।

ओह सारा पानी मेरी जाँघों पर फैलता जा रहा है, मुझे गुदगुदी हो रही है… ओह… छोड़ो साफ़ तो करने दो।

पर रिशु ने उसे नहीं जाने दिया। मैंने तकिए के नीचे से नैपकीन निकाली और रश्मि की रिसती हुई गाँड को साफ कर दिया। उसकी गाँड का छेद अब बिल्कुल लाल होकर 5 रुपए के सिक्के जितना छोटा हो गया था। मैंने उसके होंठों का एक चुम्बन ले लिया- थैंक यू मेरी बहना !

ओह… थैंक यू मेरे मोनू ! उसने भी मुझे चूम लिया।

वो बिस्तर पर उँकड़ू बैठी अपनी चूत और गाँड के छेदों को देख रही थी, उसने कहा, देखो मेरी चूत और उसकी सौतन का क्या हाल कर दिया है तुम दोनों ने !

उसकी चूत सूज कर लाल हो गई थी और गाँड का रंग भी भूरे से लाल हो गया ता। उसकी चूत तो ऐसे लग रही थी जैसे किसी ने छोटी सी परवल को बीच में से चीर कर चौड़ा कर दिया हो। रिशु बोला अरे मैंने तो सिर्फ चूत चोदी थी तुम्हारा गांड का बाजा तो तुम्हारे भाई ने बजाया है। अब एक बार ज़रा हमें भी तो ये दूसरी जन्नत दिखाओ।

यह बोल कर रिशु ने अपना खड़ा हुआ लंड रश्मि की गांड में डाल दिया पर अब रश्मि को कोई तकलीफ नहीं हुई। उन चार दिनों में हमने रश्मि को कई बार चोदा और उसकी खूब गांड मारी। फिर मम्मी और पापा आ गए और मैंने उन्हें बोला की रश्मि और रिशु एक दूसरे से प्यार करते है और शादी करना चाहते हैं।

मेरे मम्मी पापा बहुत नाराज़ हुए पर जब मैंने उनको डराया कि रिशु के पास कुछ ऐसे फोटो हैं जिनसे रश्मि की बहुत बदनामी हो सकती है और कहीं भी उसकी शादी नहीं होगी, तब वो तैयार हो गए और दो साल बाद रश्मि और रिशु की शादी हो गई।

पर हमारे रिश्ते आज भी वैसे ही हैं और मैं आज भी कामिनी और रश्मि को चोदता हूँ।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल अवश्य करें।

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